हिन्दी अलंकार क्या है - समझने का बेहतरीन तरीका


आज मै आपलोग को हिन्दी अलंकार की  परिभाषा को फ़िल्मी उदाहरण के द्वारा बताने जा रहा हु जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ जैसे – UPSC , PCS , CTET , UPSSSC , RO , ARO , TET , PGT , TGT  अदि में अक्कसर पूछे जाते है . दोस्त हम सब को पता है की प्रतियोगिता के इस दौर में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को पास करना कितना कठिन काम होता है . इस  कठिन शब्द को आसन बनाने के लिए आप  इस पोस्ट को  पूरा पढ़िए क्योकि एक बार पढने के बाद आपको बहुत मजा आयेगा . इसमें अलंकारो के परिभाषा को फ़िल्मी गानों के द्वारा समझाया गया है जिससे हिन्दी अलंकार को याद करना काफी आसन बना देता है

अलंकार क्या है 

शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म को अलंकार कहते है .
अलंकार दो प्रकार के होते है .
1-शब्दालंकार    2- अर्थालंकार
11-     शब्दालंकार जहा पर केवल शब्दों के द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है वहा शब्दालंकार होता है .
शब्दालंकार के भेद – () अनुप्रास   ,    (स) यमक   ,   (ब) श्लेष   
(अ). अनुप्रास अलंकर – जहा एक वर्ण या अक्षर कई बार आये अनुप्रास अलंकर होता है .
जैसे – चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई .
यहाँ पर च अक्षर कई बार आया है इस लिए यह अनुप्रास अलंकर हुआ
अनुप्रास पाच प्रकार का होता है-
(a). छेकानुप्रास – जहा एक वर्ण या अक्षर दो बार आये
जैसे – चौदहवी का चाँद हो या आफ़ताब हो
   जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो .
यहाँ च अक्षर दो बार आया है
(b). वृत्यानुप्रास – जहा एक वर्ण या अक्षर दो से अधिक बार आये
चन्दन ने चमेली को चम्मच से चाकलेट चटाई .
(c). लाटानुप्रास – एक शब्द कई बार आये , पर उसका अर्थ एक ही हो पर वाक्य का अर्थ बदल जाये वहा लाटानुप्रास होता है .
जैसे – धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना धीरे धीरे से दिल को चुराना .
यहाँ पर धीरे-धीरे दो बार आया है लेकिन दोनों का अर्थ अलग अलग है 
(d). अन्त्यानुप्रास – पक्ति के अंत के वर्ण समान हो वहा पर अन्त्यानुप्रास होता है .
जैसे – तुझे देखा तो ए जाना सनम ,
      प्यार होता है दीवाना सनम .
यहाँ पक्ति के अंतिम शब्द समान है .
(e). श्रुत्यानुप्रास – वर्णमाला के किसी एक वर्ण के वर्ण कई बार आये वहा शुत्यानुप्रस होता है .
जैसे – लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे खिलता गुलाब जैसे शायर का ख्वाब .

(ब). यमक अलंकार  – जहा एक शब्द कई बार  आये और उनका अर्थ अलग अलग हो .
नोट – अधिकतर शब्द अगल – बगल होते है .
जैसे – कुर्बान मेरी जान (लाइफ ) , जान (गर्लफ्रेंड ) तुझ पर कुर्बान हो .

(ब). श्लेष अलंकर – एक शब्द एक बार ही आता है
जैसे - रहिमन पानी राखिये , बिन पानी सब सुन  .
      पानी गये न ऊबरे मोती , मानस चुन .
यहा पानी शब्द के तीन अर्थ है - चमक , प्रतिस्था और जल 

अर्थालंकार – जहा पर अर्थगत चमत्कार उत्पन्न होता है वहा अर्थालंकार होता है .
उपमा अलंकर – जहा एक वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु से हो उपमा अलंकर होता है . इसमें चार अंग है .
उपमेय – जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जा रही है
उपमान – जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जा रही है .
सामान्य धर्म – वह गुण जिसमे दोनों व्यक्ति या वस्तु की जाय
वाचक शब्द – वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो ,
जैसे- सा , सी  , से , सरिस , ते अदि
जैसे – मुन्नी के गाल शीला जैसे गोरे है .
उपमेय – मुन्नी ,  उपमान – शीला  ,  वाचक शब्द – जैसे ,    सामान्य धर्म – गोरे 
रूपक अलंकर – जहा किन्ही दो व्यक्ति या वस्तु में इतनी समानता हो की दोनों में अंतर करना मुश्किल हो वहा रूपक अलंकर होता है .
     या
जहा उपमेय , उपमान का रूप धारण कर लेता हो
जैसे – ये रेशमी जुल्फे , ये शरबती आखे ,
   इन्हें देखकर जी रहे है सभी .
उत्प्रेक्षा अलंकर – जहा एक व्यक्ति या वस्तु के समान (एक जैसे ) होने की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाय वहा उत्प्रेक्षा अलंकर होता है . इसमे वाचक शब्द जैसे – मन , मानो , जनु ,जानो , मानहु , जानहु अदि शब्दों ला प्रयोग होता है .
कल पार्टी में शीला बहुत खुबसूरत लग रही थी मानो सनी लेओनी आ गयी हो .

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दोस्तों में उम्मीद करता हु आपको हिन्दी अलंकार समझ में आगया होगा , अगर आपको कुछ पूछना है तो हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है .


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