गुरुत्वाकर्षण क्या है? यह कैसे उत्पन्न होता है
दोस्तों क्या आप जानते है की गुरुत्वाकर्षण क्या है (What is Gravity in Hindi) यह कैसे बनता है। ग्रेविटी के पीछे का science क्या है। गुरुत्वाकर्षण बल उत्पन्न कैसे होता है या यह काम कैसे करता है? इन सब के बारे में आज इस पोस्ट में पढ़ने वाले है।
इस फॉर्मूले में m1 और m2 दो द्रव्यमान के पिंड है जिसकी दुरी r है, G (Gravitation Constant = 6.67408 × 10^-11 m^3) और उस पर F1 and F2 Force एक दूसरे की ओर खीज रहे है।
इस तरह से Newton साहब ने हमे ग्रैविटी का कांसेप्ट दिया।
आजकल आसमान में जितने भी satellite छोड़े जाते है सभी न्यूटन के फॉर्मूले से ही छोड़े जाते है।
लेकिन Newton के गुरुत्वाकर्षण के नियन से ये पता नहीं लग पा रहा है की ग्रेविटी किस चीज की बनी है। क्या Newton के गुरुत्वकर्षण नियन पुरे ब्रम्हांड में समान रूप से लागु होता है इसका जवाब है, नहीं। लेकिन Newton's of Gravity को पूरी तहर से गलत नहीं ठहरा सकते। इसी सिद्धांत को एक दूसरे महासय ने आगे बढ़ाया जिनका नाम Albert Einstein था।
अब आते है की आइंस्टाइन साहब का Gravity सिद्धांत क्या कहती है ।
उन्होंने बताया की Space और Time उस Fabric (एक तरह का जाल) में आपस में जुड़े है जिन्हें Space Time कहते है। आइंस्टाइन मानते थे कि स्पेस टाइम मुड़ (Band) सकता है और उसमे होने वाला Distortion ग्रेविटी कहलाता है ।
अब सवाल यह उत्पन होता है की गुरुत्वाकर्षण हर जगह क्यों फैला हुआ है। इसको एक सरल भाषा में समझाते की कोशिश करता हूँ।
मान लीजिये पूरा Universe एक चादर है और Universe के सभी पिंड (ग्रह, तारे आदि) उस चादर पर चल रहे है अब कोई भी चीज जैसे पिंड उस चादर पर रखी होगी तो वह चीज चादर को दबाएगी। कुछ इस तरह से -
उस चादर पर एक छोटी गेंद (कम मास वाली) और एक बड़ी गेंद (ज्यादा मास वाली) रखे। बड़ी वाली गेंद मास के कारण चादर को दबाएगी जिसके चारो ओर ज्यादा बड़ा गड्डा उत्पन्न होगा। अब छोटी वाली गेंद को बड़ी गेंद के चारो ओर लुढ़काने से वह बड़ी गेंद के चारो ओर चक्कर लगाने लगेगी। इसी घटना को गुरुत्वाकर्षण कहते है। दोनों गेंदो के बीच जो झुकाव या आकर्षण होगा उसी को गुरुत्वाकर्षण बल बनता है।
यही कारण है की पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और पृथ्वी का चक्कर चन्द्रमा लगता है। इसी तरह से ब्रम्हांड रूपी चादर में कई सारे छोटे बड़े पिंड मौजूद है और सभी एक दूसरे का चक्कर लगा रहे है। इसी तरह से पुरे ब्रम्हांड में बने गड्डे जिसे गुरुत्वाकर्षण कहते है सभी जगह मौजूद है।
इसी दबने की घटना को विज्ञानं में Space Time Curvature कहते है। इससे ये पता चलता है कि स्पेस टाइम एक ही Fabric का हिस्सा है। इस fabric में जब भी कोई मास वाला Object मौजूद होगा तो स्पेस टाइम में एक Geometrical Curvature बन जाता है और उस object से कम मास वाला Object आकर्षित होने लगता है।
इससे ये पता चलता है की ग्रैविटी कोई चीज नहीं है बस स्पेस टाइम (स्थान-काल) का दबना (Curvature) है।
> कोरोना वायरस क्या है
> Important Scientific Research Organisations
> What is Nanotechnology in hindi
इसी सिद्धांत के कारण ब्लैक होल जैसी घटना होती है। जब बहुत सारा Mass एक point पर आकर इकठ्ठा हो जाता है की स्पेस टाइम में इतना ज्यादा curvature उत्पन्न कर देता है एक तरह का स्पेस-टाइम में होल create कर देता जिसका ग्रेविटेशनल फाॅर्स इतना ज्यादा बढ़ जाता की प्रकाश भी वहा से नहीं निकल पता।
क्या अपने कभी सोचा है की जब भी हम भार वाली कोई भी वास्तु को ऊपर फेकते है तो वह नीचे पृथ्वी पर क्यों आ जाती है, जिस बल के कारण वह पृथ्वी पर गिरता है उस बल का नाम है गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) अब आपके मन में एक सवाल उत्पन्न हो सकता है की आखिर यह बल Create कैसे होता है।
न्यूटन महोदय एक दिन बगीचे में सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे अचानक उनके सामने एक एक सेव गिरा, उनके माइंड में घंटी बजी की आखिर सेब नीचे ही क्यों गिरा। इसी एक सोच की वजह से गुरुत्वाकर्षण की खोज हुई।
गुरुत्वाकर्षण क्या है (What is Gravity in hindi)
17वी शताब्दी की शुरुआत में Isaac Newton महोदय ने हमे बताया कि द्रव्यमान (Mass) वाली हर एक चीज अपनी ओर हर उस चीज को खींचती है जिसमे द्रव्यमान होता है। किसी वस्तु (Object) का द्रव्यमान जितना ज्यादा होगा वे एक दूसरे के उतनी करीब होगी और Gravitational Attraction उतना ही ज्यादा होगा।
1687 ईस्वी में न्यूटन ने एक किताब पब्लिश की उस किताब की नाम Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica है यह Principia के नाम से भी जाना जाता है। इसी किताब में गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के सारे राज छुपे हुए थे।
सबसे पहले हम किसी वस्तु के भार और द्रव्यमान के अन्तर को थोड़ा समझ लेते है इससे गुरुत्वाकर्षण को समझने में आसानी होगा।
भार (Weight) - किसी वस्तु का भार गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन होता है यह स्थान परिवर्तन के साथ बदलता रहता है जैसे पृथ्वी पर किसी वस्तु का द्रव्यमान 50 kg है तो पृथ्वी पर उसका भार 50*g होगा अर्थात 50*10 = 500N
द्रव्यमान (Mass) - किसी भी वस्तु में कितना द्रव्य (matter) है द्रव्यमान कहलाता है यह उस वस्तु के आंतरिक गुण के कारण होता है। अर्थात आप ब्रम्हांड में कही भी चले जाएं आपका द्रव्यमान समान ही रहेगा।
जैसे चन्द्रमा पृथ्वी से छोटी है अर्थात उसका द्रव्यमान (Mass) कम है इसी लिए पृथ्वी की अपेक्षा चन्द्रमा पर कम ग्रैविटी है।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton's law of gravitation in hindi)
न्यूटन ने बताया कि दो ऑब्जेक्ट एक दूसरे पर कितना गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) लगाते है यह तीन बातो पर निर्भर करता है।
Newton ने ये देखा की mass (m1 and m2) बढ़ने से Force (F1 and F2) बढ़ रहा है और दुरी (r) बढ़ने से Force घट रहा है। इससे एक नियम निकलता है ''किसी भी दो पिंडो के बीच लगने वाला ग्रेविटेशनल फोर्स दोनों पिंडो के द्रव्यमान के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती है। तथा उनके बीच की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है" जिसे न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम कहते है। इस नियम ने एक फार्मूले का जन्म होता है जिसे Newton's Law of Gravity Formula कहते है। निचे देख सकते है -
- पहले वस्तु का द्रव्यमान
- दूसरे वस्तु का द्रव्यमान
- दोनों वस्तुओं के बीच की दूरी
इस फॉर्मूले में m1 और m2 दो द्रव्यमान के पिंड है जिसकी दुरी r है, G (Gravitation Constant = 6.67408 × 10^-11 m^3) और उस पर F1 and F2 Force एक दूसरे की ओर खीज रहे है।
इस तरह से Newton साहब ने हमे ग्रैविटी का कांसेप्ट दिया।
आजकल आसमान में जितने भी satellite छोड़े जाते है सभी न्यूटन के फॉर्मूले से ही छोड़े जाते है।
लेकिन Newton के गुरुत्वाकर्षण के नियन से ये पता नहीं लग पा रहा है की ग्रेविटी किस चीज की बनी है। क्या Newton के गुरुत्वकर्षण नियन पुरे ब्रम्हांड में समान रूप से लागु होता है इसका जवाब है, नहीं। लेकिन Newton's of Gravity को पूरी तहर से गलत नहीं ठहरा सकते। इसी सिद्धांत को एक दूसरे महासय ने आगे बढ़ाया जिनका नाम Albert Einstein था।
अब आते है की आइंस्टाइन साहब का Gravity सिद्धांत क्या कहती है ।
Einstein की ग्रेविटी क्या कहती है
उन्होंने बताया की Space और Time उस Fabric (एक तरह का जाल) में आपस में जुड़े है जिन्हें Space Time कहते है। आइंस्टाइन मानते थे कि स्पेस टाइम मुड़ (Band) सकता है और उसमे होने वाला Distortion ग्रेविटी कहलाता है ।
अब सवाल यह उत्पन होता है की गुरुत्वाकर्षण हर जगह क्यों फैला हुआ है। इसको एक सरल भाषा में समझाते की कोशिश करता हूँ।
स्पेस में गुरुत्वाकर्षण कैसे बनता है (How to Create Gravity in Space)
मान लीजिये पूरा Universe एक चादर है और Universe के सभी पिंड (ग्रह, तारे आदि) उस चादर पर चल रहे है अब कोई भी चीज जैसे पिंड उस चादर पर रखी होगी तो वह चीज चादर को दबाएगी। कुछ इस तरह से -
उस चादर पर एक छोटी गेंद (कम मास वाली) और एक बड़ी गेंद (ज्यादा मास वाली) रखे। बड़ी वाली गेंद मास के कारण चादर को दबाएगी जिसके चारो ओर ज्यादा बड़ा गड्डा उत्पन्न होगा। अब छोटी वाली गेंद को बड़ी गेंद के चारो ओर लुढ़काने से वह बड़ी गेंद के चारो ओर चक्कर लगाने लगेगी। इसी घटना को गुरुत्वाकर्षण कहते है। दोनों गेंदो के बीच जो झुकाव या आकर्षण होगा उसी को गुरुत्वाकर्षण बल बनता है।
यही कारण है की पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और पृथ्वी का चक्कर चन्द्रमा लगता है। इसी तरह से ब्रम्हांड रूपी चादर में कई सारे छोटे बड़े पिंड मौजूद है और सभी एक दूसरे का चक्कर लगा रहे है। इसी तरह से पुरे ब्रम्हांड में बने गड्डे जिसे गुरुत्वाकर्षण कहते है सभी जगह मौजूद है।
इसी दबने की घटना को विज्ञानं में Space Time Curvature कहते है। इससे ये पता चलता है कि स्पेस टाइम एक ही Fabric का हिस्सा है। इस fabric में जब भी कोई मास वाला Object मौजूद होगा तो स्पेस टाइम में एक Geometrical Curvature बन जाता है और उस object से कम मास वाला Object आकर्षित होने लगता है।
इससे ये पता चलता है की ग्रैविटी कोई चीज नहीं है बस स्पेस टाइम (स्थान-काल) का दबना (Curvature) है।
> कोरोना वायरस क्या है
> Important Scientific Research Organisations
> What is Nanotechnology in hindi
ब्लैक होल कैसे उत्पन्न होता है (How to Create Black Hole)
इसी सिद्धांत के कारण ब्लैक होल जैसी घटना होती है। जब बहुत सारा Mass एक point पर आकर इकठ्ठा हो जाता है की स्पेस टाइम में इतना ज्यादा curvature उत्पन्न कर देता है एक तरह का स्पेस-टाइम में होल create कर देता जिसका ग्रेविटेशनल फाॅर्स इतना ज्यादा बढ़ जाता की प्रकाश भी वहा से नहीं निकल पता।
Post a Comment